जैसे-जैसे डोनाल्ड ट्रंप 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में वापसी की ओर बढ़ रहे हैं, वैश्विक कूटनीति एक बार फिर से उथल-पुथल की स्थिति में आ गई है — जिसका प्रभाव रूस, भारत और चीन जैसे शक्तिशाली देशों तक पहुंच रहा है।
ट्रंप के तीखे विदेश नीति बयान
हाल ही में ट्रंप ने चीन और रूस को लेकर कड़े बयान दिए। ओहायो में एक रैली में उन्होंने कहा:
“America First कोई नारा नहीं है। यह एक चेतावनी है उन देशों के लिए जो हमारी ताकत को चुनौती दे रहे हैं। चीन, रूस — सावधान रहें।”
इस बयान के बाद फिर से ट्रेड वॉर, सैन्य टकराव और वैश्विक तनाव बढ़ने की आशंका गहराने लगी है।
रूस की सतर्क प्रतिक्रिया
यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस ने ट्रंप की टिप्पणियों पर संयमित प्रतिक्रिया दी। क्रेमलिन ने बयान में कहा:
“रूस अपने हितों की रक्षा के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी अमेरिकी नेतृत्व से शांतिपूर्ण संवाद को प्राथमिकता देगा।”
हालांकि, नाटो सीमा के पास सैन्य गतिविधियों में वृद्धि एक संभावित चेतावनी मानी जा रही है।
भारत की कूटनीतिक परीक्षा
भारत, जो रूस का रक्षा सहयोगी और अमेरिका का रणनीतिक साझेदार दोनों है, अब एक कठिन संतुलन में फंसा हुआ है:
रूस से भारत की गहरी रक्षा साझेदारी है।
वहीं अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर QUAD का हिस्सा भी है — जो चीन को कंट्रोल करने की रणनीति का हिस्सा है।
एक भारतीय विदेश नीति विश्लेषक ने कहा:
“अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं और आक्रामक नीति अपनाते हैं, तो भारत को बड़ी सावधानी से संतुलन बनाना होगा।”
चीन की चेतावनी
अमेरिकी टैरिफ और तनावों से जूझ रहे चीन ने ट्रंप के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी:
“चीन को घेरने का कोई भी प्रयास गंभीर परिणाम ला सकता है। सभी देशों को संयम बरतना चाहिए।”
इसी के बीच चीन ने दक्षिण चीन सागर में नौसेना अभ्यास तेज कर दिए हैं, जो अमेरिका की बढ़ती सैन्य उपस्थिति का प्रतिउत्तर माना जा रहा है।
2025: वैश्विक समीकरण में बदलाव का वर्ष
ट्रंप की वापसी, रूस-चीन की सैन्य तैयारियां और भारत की कूटनीतिक स्थिति — ये सभी संकेत देते हैं कि 2025 अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए निर्णायक साल हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
क्या ट्रंप चीन पर नए प्रतिबंध लगाएंगे?
क्या भारत पुराने मित्रों और नए सहयोगियों के बीच संतुलन बना पाएगा?
क्या रूस नाटो को खुली चुनौती देगा?
निष्कर्ष
विश्व मंच पर शांति और शक्ति दोनों का संघर्ष चल रहा है।
अमेरिका, रूस, चीन और भारत की यह नई चौकोन शक्ति रणनीति आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय नीति, व्यापार और सुरक्षा को तय करेगी।
No comments:
Post a Comment